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*बीजापुर,ताड़मेटला की घटना: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का घोर उलंघन, पंत।*

  • सामाजिक कार्यकर्ता एवं भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष संजय पंत ने प्रेस नोट जारी कर बस्तर क्षेत्र में हो रहे एनकाउंटरों की सत्यता पर सवाल उठाया है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 देश के प्रत्येक नागरिक को जीने की स्वतंत्रता प्रदान करता है एवं यह हर नागरिक का एक मौलिक अधिकार है। जनता की सेवा एवं संविधान की रक्षा के लिए पुलिस एवं दूसरी सुरक्षा एजेंसियों की सेवाएं ली जाती है। भारतीय लोकतंत्र में जनता को मालिक एवं सरकारी तंत्र को नौकर का दर्जा दिया गया है।
  • सुकमा जिला के चिंतागुफा क्षेत्र के ताड़मेटला गांव के जंगलों में 5 सितंबर 2023 को पुलिस की फायरिंग में दो आदिवासी किसान व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है। पुलिस कह रही है कि मारे गए दोनों आदिवासी व्यक्ति नक्सली थे जबकि ताड़मेटला एवं आसपास लगे गांवों के ग्रामीण एवं मारे गए आदिवासी किसान व्यक्तियों के परिजनों ने उन्हें निर्दोष बताया है।
    अपराधी अपराध करता है और सजा से बचने के लिए अपने किए गए अपराध से जुड़े हुए सभी सबूतों को मिटाने की कोशिश करता है। समाज में होने वाली किसी भी प्रकार की आपराधिक घटना में यही होता है एवं इसमें कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं है। लेकिन आश्चर्य तब होता है जब पुलिस अपराध करती है और सजा से बचने के लिए अपने द्वारा किए गए अपराध से जुड़े हुए सभी सबूतों को मिटाने की कोशिश करती है। ताड़मेटला गांव में पुलिस द्वारा एनकाउंटर में मारे गए दोनों आदिवासी किसान व्यक्तियों की लाशों को बिना किसी सम्मान के और बिना रिश्तेदारों की मंजूरी के दबाव पूर्वक जलाने का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ है। इस वीडियो को देखकर यह आसानी से समझा जा सकता है कि पुलिस से बहुत बड़ी गलती हुई है। अब सवाल यह उठता है कि पुलिस से यह गलती सिर्फ बस्तर क्षेत्र में ही क्यों होती है रायपुर बिलासपुर जैसे बड़े शहरों में क्यों नहीं होती। गोमपाड़, सिंगाराम, नुलकातोंग, बेलम नैंद्रा, चिन्नागैलुर, सिलगेर और अब ताड़मेटला जैसे गांवों में आदिवासी किसान व्यक्तियों के साथ ही पुलिस से गलती क्यों होती है।
    ताड़मेटला मामले में कांग्रेस बीजेपी सहित सभी पार्टियों की चुप्पी ने बहुत कुछ साफ कर दिया है। राजनीतिक पार्टियों को सिर्फ वोट से मतलब है आदिवासियों की जान से नहीं। लेकिन इस पूरे मामले में भारतीय किसान यूनियन चुप नहीं रहेगा क्योंकि बात आदिवासी किसानों की है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता माननीय श्री राकेश टिकैत जी 21- 22 सितंबर, 2023 को ताड़मेटला एवं सिलगेर गांव का दौरा करेंगे। ताड़मेटला गांव जाकर ग्रामीणों एवं मृतकों के परिवारों से चर्चा की जाएगी और तथ्यों की जांच की जाएगी। यदि पुलिस ने कहीं भी रोकने की कोशिश की तो उसी स्थान पर तंबू लगाकर अनिश्चितकालीन धरना दिया जाएगा। इस पूरे मामले में भारतीय किसान यूनियन आदिवासी समाज से सहयोग चाहता है, किंतु बदले में न्याय दिलाने के लिए आश्वस्त भी करता है। केंद्र में भाजपा एवं राज्य में कांग्रेस की सरकारों की पूंजीपतियां के साथ मिलकर बनाई गई एक सुनियोजित साजिश है जिसके केंद्र बिंदु में आदिवासियों की जनसंख्या को कम करना है। आने वाले चुनावों में समाज को कांग्रेस, बीजेपी सहित सभी राजनीतिक पार्टियों से यह सवाल करना चाहिए की हमें सांसद-विधायक नहीं न्याय चाहिए। आरक्षित सीटों से चुनकर भेजे गए विधायकों, सांसदों एवं मंत्रियों को लज्जा आना चाहिए कि उनके सामने ही उनके अनुसूचित जनजाति समाज के व्यक्तियों को मारा जा रहा है। किसी भी समाज में मृत्यु के पश्चात अंतिम संस्कार पारंपरिक रीति-रिवाजों से रिश्तेदारों के द्वारा कराने की मान्यता है। ताड़मेटला की घटना में पुलिस द्वारा आदिवासी व्यक्तियों के लाशों के साथ जिस तरह का बर्बरता पूर्वक व्यवहार किया गया है वह क्षमा के योग्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी इस पूरे मामले को स्वत: संज्ञान में लेते हुए दोषियों को मृत्युदंड की सजा देनी चाहिए क्योंकि ताड़मेटला की घटना ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का घोर उल्लंघन किया है।

ब्यूरो चीफ***सिरोज विश्वकर्मा

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